राष्ट्रीय

‘राष्ट्रपति’और ‘राज्यपाल’ भी राजस्थान के चुनाव में डालेंगे वोट! जानिए क्या है चक्कर

बूंदी

मेघालय में जब भी चुनाव होते हैं, तो यहां के स्वीडन, थाईलैंड, गुरुवार जैसे नाम सुर्खियों में आ जाते हैं। लेकिन, मतदाताओं के नाम को लेकर ध्यान खींचने में राजस्थान के बूंदी जिले का रामनगर गांव शायद आगे हो सकता है। जब राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होगा, तो बूंदी जिले के रामनगर गांव में 'कलेक्टर', 'राष्ट्रपति' और 'राज्यपाल' भी वोट डालेंगे। दरअसल बूंदी जिला मुख्यालय से लगभग 10 किमी दूर एक छोटा का गांव है रामनगर। इस गांव की जनसंख्या 5 हजार है। जबकि लगभग 2 हजार मतदाता कंजर आदिवासी समुदाय से हैं। इस समुदाय में किसी का नाम राज्यपाल है तो किसी का नाम राष्ट्रपति तो किसा का राजीव गांधी।
 

नाम के पीछे है जटिल सामाजिक इतिहास

इस गांव में ऐसे नामों की उत्पत्ति विचित्र नहीं है। इनके पीछे जटिल सामाजिक इतिहास है। इस बारे में जानकारी देते हुए स्थानीय कंजर बालक दास ने कहा कि, 'ब्रिटिश शासन के दौरान कंजरों को आपराधिक जनजाति के रूप में देखा जाता था। समुदाय के कुछ सदस्य क्राइम और अवैध गतिविधियों में शामिल रहते थे।' आदिवासी अकादमी तेजगढ़, गुजरात के निदेशक डॉ. मदन मीना ने कहा कि आजादी के बाद, भारत सरकार ने ब्रिटिश काल के कानून को वापस ले लिया था, जिसमें कंजर, भाट, मोंगिया, सांसी जैसे समुदायों को आपराधिक जनजातियों के रूप में दर्ज किया गया था। लेकिन, आज़ादी के बाद भी कुछ चीजें नहीं बदली। स्थानीय पर्यवेक्षकों का कहना है कि समुदाय के कुछ सदस्य अगर कानून तोड़ते हैं तो पूरे समुदाय को अपराधी की दृष्टि से देखा जाता है।

उन्होंने कहा कि इस सामाजिक निंदा से बचने के लिए कई कंजरों ने ऐसे नाम रख लिए, जिन्हें लोग सम्मान की दृष्टि से देखते थे। समुदाय के लोगों ने कई बच्चों के नाम दूरदर्शन पर कार्यक्रम देखकर रखे थे। उस वक्त टीवी मीडिया का एकमात्र साधन दूरदर्शन हुआ करता था और कांग्रेस सबसे शक्तिशाली राजनीतिक दल। पहले इस गांव की वोटर लिस्ट में एक आईजी, एक एसपी और एक तहसीलदार हुआ करते थे, अब सभी दिवंगत हो गए हैं।

मनरेगा मजूदर के रूप में काम करते हैं 'राजीव गांधी'

हालांकि, 'राजीव गांधी' सरकारी जॉब कार्ड के साथ गांव में मनरेगा मजूदर के रूप में काम करते हैं। कलेक्टर एक 57 वर्षीय मतदाता है, जिसका नाम उसकी मां ने रखा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कलेक्टर की मां एक कलेक्टर से 'प्रभावित' थी, जिसने गांव का दौरा किया था।

  इंटरनेट और निजी टीवी चैनल गांव तक पहुंच गया हैं। इसके चलते गांव के लोगों के नाम अब बदल गए हैं। स्थानीय नेताओं की ओर से गांव के समुदाय की छवि को बेहतर बनाने की कोशिश है। इस समुदाय के लिए बड़े स्थानीय सम्मेलन भी बीते सालों किए गए हैं।

गांव की बदलने लगी है 'सूरत'

गांव के सरकारी प्राथमिक और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में लगभग 650 छात्र, लड़के और लड़कियां पढ़ते हैं। दो स्थानीय लोगों को शिक्षक के रूप में भर्ती किया गया था। गांव के सात लोग सरकारी कर्मचारी हैं। माना जा रहा है कि आने वाले समय में इस कंजर समुदाय के लोग अपने बच्चों का नाम राज्यपाल और राष्ट्रपति शायद नहीं रखेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot