हिमाचल प्रदेश

‘पनविद्युत परियोजनाओं में नहीं बिकने देंगे हिमाचल के हित’

टीम एक्शन इंडिया/शिमला/ चमन शर्मा
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि उनकी सरकार पन विद्युत परियोजनाओं में प्रदेश के हित नहीं बिकने देगी। प्रश्न काल के दौरान मुख्यमंत्री ने पूर्व भाजपा सरकार पर पन विद्युत परियोजनाओं में प्रदेश के हित बेचने का आरोप लगाया। भाजपा विधायक सुखराम चौधरी के मूल प्रश्न के उतर में मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार ने राज्य के हित्त बेचने का काम किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने सत्ता में आने के बाद राज्य की उर्जा नीति में आंशिक परितर्वन किया और पूर्व सरकार द्वारा पनविद्युत परियोजनाओं में खत्म कर दी गई रॉयलिटी को बहाल करने का फैंसला लिया है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार द्वारा इन्वेस्टर मीट में किए गए एमओयू में सतलुज जल विद्युत निगम और एनटीपीसी को दी गई धौलासिद्ध, सैंज और सुन्नी-लुहरी परियोजनाओं में रॉयालिटी को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया था। मौजूदा सरकार ने इसे बहाल करने का फैंसला लिया है। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं का निर्माण कर रही कंपनियों ने बिना अनुमति के ही काम शुरू कर दिया। यही नहीं परियोजनाओं क्षेत्रों में लाडा को भी खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने सतलुज जल विद्युत निगम को बिना अनुमति काम शुरू करने को लेकर नोटिस दिया है। साथ ही रॉयलिटी बहाल करने को लेकर भी एक और नोटिस दिया गया है। इसी तरह एनटीपीसी को भी नोटिस जारी किए गए हैं। एनटीपीसी इस मुद्दे पर वार्ता के लिए तैयार हो गया है, जबकि एसजेपीएनल इस मुद्दे पर हाईकोर्ट गया और वहां से भी फैंसला सरकार के पक्ष में आया है। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों ने सरकार के आदेशों को नहीं माना तो सरकार इन्हें आंबटित परियोजनाओं को वापिस लेकर इनका स्वयं निर्माण करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने सोलर व विंड पावर पॉलिसी में भी आंशिक बदलाव किया है। विधायक राजेश धमार्णी के एक प्रश्न के उतर में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों में प्रतिनियुक्ति की नीति की पुन:समीक्षा करेगी और प्रतिनियुक्ति के नाम पर इन विभागों में वर्षों से अधिकारी व कर्मचारियों को स्थानांतरित किया जाएगा। प्रश्नकाल के दौरान प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न सरकारी संस्थानों को बंद करने के मुद्दे पर भी जोरदार शोरगुल हुआ। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि पूर्व सरकार द्वारा खोले गए संस्थानों को बंद करने को सरकार ने तमाशा बना दिया है। उन्होंने कहा कि अभी तक सरकार ऐसे 1050 संस्थान बंद कर चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार प्रदेश के लिए आपदा बन गई है।
इसी मुद्दे पर सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने दखल देते हुए कहा कि विपक्ष चाहे तो चर्चा ला सकता है और सरकार विस्तृत जवाब देने को तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सर्वेक्षण के आधार पर संस्थान बंद किए हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में सरकार जरूरत के हिसाब से और नियुक्तियां करके नए संस्थान खोलेगी न की राजनीति लाभ लेने के लिए। अजय सोलंकी द्वारा इस संबंध में पुछे गए मूल सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि नाहन विधानसभा क्षेत्र में पूर्व सरकार द्वारा खोले गए 6 सरकारी संस्थान बंद किए गए हैं। इनमें उप-तहसील कालाअंब और पटवारवृत पालियो, अंबवाला-सेनवाला, कालाअंब, देवनी और नागली, सुकेती पटवारवृत शामिल है। विधायक केएल ठाकुर के एक सवाल के जवाब में सीएम ने कहा कि सरकार करूणामूलक आधार पर नौकरी देने के मामले का अध्ययन कर रही है और इसके लिए एक कमेटी गठित की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे पदों को भरने के लिए गंभीरत से विचार कर रही है और ऐसे मामलों में योग्यता के आधार पर रोजगार दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व भाजपा सरकार के समय विभिन्न विभागों में करूणामूलक आधार पर नौकरियों के 1766 और निगम व बोर्डों में 734 मामले रद्द किए गए और पूर्व सरकार ने केवल 25 प्रतिशत मामलों में ही रोजगार दिया। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री विधायक अनिल शर्मा के एक सवाज के जवाब में कहा कि प्रदेश में आई आपदा से अकेले जलशक्ति विभाग को 2100 करोड का नुकसान हुआ है। इसमें से 600 करोड रूपए का नुकसान जलजीवन मिशन को हुआ है। उन्होंने कहा कि मंडीए कुल्लू.मनाली और नादौन के लिए एनजीटी के दखल के बाद 69 करोड रूपए की लागत से सीवरेज योजनाएं तैयार की जा रही है। इन योजनाओं पर अभी तक 35 करोड रूपए खर्च हो चुका है और जैसे-जैसे धन उपलब्ध होगा वैसे-वैसे इन योजनाओं को पूरा कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्राकृतिक आपदा में क्षतिग्रस्त मंडी की सीवरेज योजना को फि र से स्थापित करने के प्रयास जारी है।

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