हिसार: कुलदीप बिश्नोई ने नागोर के चकढाणी में किया बिश्नोई मंदिर का उद्घाटन
हिसार: अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक एवं ‘बिश्नोई रत्न’ कुलदीप बिश्नोई ने राजस्थान (Rajasthan) के नागोर जिले के गांव चकढाणी में गुरू जंभेश्वर भगवान के नवनिर्मित मंदिर का उद्घाटन किया. रविवार (Sunday) को हुए कार्यक्रम में वे मुख्य अतिथि थे जबकि अखिल भारतीय बिश्नोई महासंभा के अध्यक्ष देवेन्द्र बुडिया ने अध्यक्षता की.
इससे पूर्व कुलदीप बिश्नोई ने जयपुर (jaipur) में बिश्नोई धर्मशाला (Dharamshala)के निर्माण की कड़ी में 200 फुट बाइपास, जयपुर (jaipur)-अजमेर (Ajmer) रोड पर लिए गए प्लॉट का मुआयना किया और पेशगी दी. सुंदर जगह पर धर्मशाला (Dharamshala)के लिए बेहतरीन प्लॉट लेने पर उन्होंने महासभा अध्यक्ष देवेन्द्र बुडिय़ा एवं समस्त कार्यकारिणी को बधाई दी. उन्होंने कहा कि समाज की ओर से जयपुर (jaipur) में बिश्नोई धर्मशाला (Dharamshala)के निर्माण की मांग बहुत लंबे समय से की जा रही थी. इस प्लॉट पर बनने वाली आठ मंजिला आधुनिक बिश्नोई धर्मशाला (Dharamshala)के निर्माण से जयपुर (jaipur) आने वाले छात्रों एवं धर्म प्रेमियों को बहुत लाभ होगा, वहीं समाज के लिए भी यह एक बेहतरीन धरोहर साबित होगी.
चकढाणी गांव में आयोजित हवन यज्ञ, कलश स्थापना उपरांत आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि समाज के धार्मिक कार्यों में भाग लेकर अपार आत्मिक खुशी मिलती है. इस क्षेत्रवासियों का उनके पिता ‘बिश्नोई रत्न’ स्व. चौ. भजनलाल जी के साथ गहरा लगाव था. जो प्यार, स्नेह, आशीर्वाद और मान-सम्मान आज उन्हें दिया उसके लिए समस्त मंदिर कमेटी सदस्यों एवं ग्रामीणों का हृदय से आभारी रहेंगे.
कुलदीप बिश्नोई के अनुसार उन्हें बताया गया कि इस मंदिर के निर्माण में चकढाणी गांव के अलावा किसी भी अन्य बाहर के गांव से पैसा नहीं लिया गया. केवल 200 घर है चकढाणी गांव में. इन लोगों ने मात्र 19 महीने में दो करोड़ की लागत से मंदिर तैयार करके आज उद्घाटन करवाया है, जो कि बहुत ही बड़ी बात है. इससे साबित होता है कि गुरू महाराज के प्रति हमारे समाज में कितनी श्रद्धा है. गांववासी जिन्होंने भी इस मंदिर निर्माण में अपनी आहुति डाली है, वो सभी बधाई के पात्र हैं और आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी हैं.
इस दौरान मुकाम पीठाधीश्वर स्वामी रामानंद, महासभा उपाध्यक्ष पतराम बिश्नोई, मोहनलाल लोहमरोड, ओमप्रकाश लोल, सोहनलाल लोहमरोड, रामचंद्र बैनीवाल, देवाराम राहड, हेतराम लोहमरोड, शंकर बिश्नोई, नाथूराम भांभू सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे.