वृद्धाश्रम घागस में भाषा एवं संस्कृति विभाग ने मनाया पहाड़ी दिवस
टीम एक्शन इंडिया/बिलासपुर /कश्मीर ठाकुर
भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर द्वारा पहाड़ी दिवस का आयोजन बिलासपुर के घागस स्थित अपना घर में किया गया। इस आयोजन के प्रथम सत्र में कवि गोष्ठी तथा पत्र वाचन हुआए वहीं दूसरे सत्र में लोकगीत तथा लोक नृत्य करवाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन से हुई और सबसे पहले साहित्यकार रविंद्र भट्टा ने पहाड़ी भाषा पर पत्र वाचन किया और उन्होंने बताया कि किस तरह से पहाड़ी भाषा का उद्गम हुआ और पहाड़ी बोली की क्या अहमियत है। उन्होंने इसमें योगदान करने वाले हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी लेखकों का भी उल्लेख किया। इसके उपरांत कवि गोष्ठी का शुभारंभ हुआ। जिसमें जिले भर से आए विभिन्न कवियों ने अपनी रचनाएं पढ़ी और अपना घर के सभी बुजुर्गों का मनोरंजन किया। सबसे पहले वरिष्ठ पत्रकार अरुण डोगरा रीतू की कविता करवा चैथ पर रही हर साले साही इस साल भी रख्या था मेरिया लाडिया करवा चैथी रा बरतए तृप्ता कौर मुसाफि र की लाइनें थी दिवाली आई दिवाली आई अप्पू सोगी मती सारी खुशियां लाई, पूनम शर्मा ने अपनी कविता में कहा जो कौदा कुल्थ कचालू नाओं दर्ज पन्न्या च हुई जाने, एनआर हितैषी ने कुछ यूं कहा कहां से छोड़ो अप्पू लगदे खाने कमाने ता घागसा जो भेजी ते सयाने सयानेए कविता सिसोदिया की कविता थी एक जमाना था सयानया रा खूब रोब होर इज्जत थी, एसआर आजाद ने कहा किहीयां भी हो किसी पर भी हो दवाब बनाना ठीक नी हुंदा, सेवानिवृत्त जिला भाषा अधिकारी डॉ. अनीता शर्मा ने कहा जिनके पास अपने हैं वह अपनों से झगड़ते हैं जिनका कोई नहीं अपना वह अपनों को तरसते हैं।
बिलासपुर की साहित्यकार सुमन चड्ढा ने कांगड़ा के सुप्रसिद्ध कवि शक्ति चंद राणा की पंक्तियां पढकर सुनाई सिरे पर चादरु रा मुक्या रवाज भुली गई, सब लोक लॉजए सुरेंद्र मिन्हास की कविता थी आदर भाव तेरा करया दे थे जेहड़े देंदे थे तिजो गालीए अमरनाथ धीमान ने अपनी कविता में कहा इस जीभा रे स्वादा री बड़ी ही अजब कहानीएसाहित्यकार कुलदीप चंदेल ने अपनी रचना बांकी लाड़ी में कहा मेरे गांवा रा प्रेम दिल्लिया ते विहाही के बांकी लाड़ी लियाया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में नरेंद्र दत्त शर्मा ने पहाड़ी गीत और गंगी गाकर सभी का भरपूर मनोरंजन किया। वहीं सरदार अनूप सिंह मस्ताना ने भी गीत सुनाए। इस अवसर पर तृप्ता कौर मुसाफिर के सांस्कृतिक दल ने बिलासपुरी लोक नृत्य प्रस्तुत किया जिस पर सभी झूम उठे और कुछ बुजुर्गों ने तो नृत्य भी किया।