हिमाचल प्रदेश

World EV Day 2023: वायु की क्वालिटी सुधारने के लिए कारगर साबित होंगे इलेक्ट्रिक वाहन, सरकार इन पर दे रही 50 फीसदी सब्सिडी

शिमला: वायु प्रदूषण आज सबसे बड़ी चुनौती उभरकर सामने आई है. शहरीकरण, औद्योगिकरण की रफ्तार से प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में इससे निपटने के लिए भी प्रयास शुरू हो गए हैं. हिमाचल सरकार भी जीवाश्म ईंधन यानी पेट्रोल व डीजल वहानों से काबर्न उत्सर्जन को कम करने के मकसद से इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित कर रही है. सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर 50 फीसदी सब्सिडी दे रही है. हिमाचल देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां पर इलेक्ट्रिक वाहनों पर 50 फीसदी सब्सिडी का प्रावधान है. इससे हिमाचल में डीजल-पेट्रोल वाहनों पर निर्भरता कम होकर इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल बढ़ेगा और इससे प्रदेश की वायु को स्वच्छ बनाए रखने में मदद मिलेगी.

वायु प्रदूषण में गाड़ियों का बड़ा योगदान: देश में प्रदूषण का एक बड़ा कारण गाड़ियां है. देश में 35 प्रतिशत प्रदूषण डीजल और पेट्रोल की वजह से होता है. वायु प्रदूषण से लोगों को श्वास और अन्य गभीर बीमारियों तो मिलती ही है, साथ में कई को अपनी जानें भी गवांनी पड़ रही है. यही वजह है कि देश में प्रदूषण को रोकने कि लिए इलेक्ट्रिन वाहनों का इस्तेमाल कारगर कदम हो सकता है. हिमाचल की बात करें तो यहां औद्योगिक क्षेत्रों को छोड़कर बाकी क्षेत्रों में वाहनों से निकलने वाला धुंआ और धूल वायु की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है.

सरकार ने लिया इलेक्ट्रिक व्हीकल अपनाने का फैसला: प्रदेश में परिवहन का एक मात्र जरिया सड़क परिवहन ही है. यहां पर बड़ी संख्या में गाड़ियां सामान के परिवहन में लग रहती हैं. यही नहीं प्रदेश के सीमेंट कारखानों से सीमेंट ढोने में भी ट्रकों का बड़े स्तर पर इस्तेमाल होता है. बड़ी बात यह है कि ये गाड़ियां डीजल का इस्तेमाल करती हैं, जोकि सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाती है. इसी तरह हर साल सेब के ट्रांसपोर्टेशन में भी सैंकड़ों ट्रको का इस्तेमाल होता है. ये ट्रक भी डीजल संचालित ही होते हैं. जाहिर तौर पर हिमाचल में वायु की गुणवत्ता को ये गाड़ियां बड़े स्तर पर प्रभावित कर रही हैं. हालांकि हिमाचल की जलवायु काफी हद तक स्वच्छ है, लेकिन अगर इसी रफ्तार से अगर यहां पर जीवाश्म ईंधन पर आधारित गाड़ियां इस्तेमाल होती रहीं तो आने वाले समय वायु प्रदूषण बढ़ेगा. इसको देखते हुए हिमाचल की सुक्खू सरकार ने भी बड़े स्तर पर इलेक्ट्रिक व्हीकल अपनाने का फैसला लिया है.

डेढ़ हजार डीजल बसें इलेक्ट्रिक बसों से बदली जाएगी: हिमाचल में एचआरटीसी परिवहन यात्रियों को बड़ी सुविधा दे रहा है. इसके लिए डीजल आधारित बसें चलाई जा रही हैं. हालांकि, सरकार इन बसों को भी इलेक्ट्रिक बसों से बदल रही है. अभी तक 110 इलेक्ट्रिक बसें शिमला और धर्मशाला में चलाई जा रही हैं. हालांकि एचआरटीसी के पास करीब 3200 बसों का बेड़ा है, जिनमें से 1500 बसें चरणबद्द तरीके से इलेक्ट्रिक बसों से बदलने की सरकार की योजना है.

परिवहन विभाग ने अपनी सभी गाड़ियां इलेक्ट्रिक गाड़ियों से बदली: प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए हिमाचल परिवहन विभाग की गाड़ियों को इलेक्ट्रिक बसों से बदल दिया है. हिमाचल में परिवहन विभाग के सभी फील्ड अधिकारियों को इलेक्ट्रिक गाड़ियां उपलब्ध करवाई गई हैं. ऐसा करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है.

6 ग्रीन कोरिडोर बनाएगी सरकार: राज्य सरकार प्रदेश में छह ग्रीन कॉरिडोर विकसित करेगी. इन कॉरिडोर का निर्माण परवाणू-नालागढ़-ऊना-हमीरपुर-देहरा-अंब-मुबारकपुर-संसारपुर टैरेस-नूरपुर, पावंटा साहिब-नाहन-सोलन-शिमला, परवाणू-सोलन-शिमल-रामपुर-पिओ-पूह-ताबो-काजा-लोसर, शिमला-बिलासपुर-हमीरपुर-कांगड़ा -नूरपुर-बनीखेत-चंबा, मंडी-जोगिंद्रनगर- पालमपुर-धर्मशाला-कांगड़ा-पठानकोट और कीरतपुर-बिलासपुर-मंडी-कुल्लू-मनाली-केलांग-जिंगजिंगबार तक कोरिडोर बनाया जाएगा. इनमें इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन को प्रोत्साहित किया जाएगा.

हिमाचल में 2400 इलेक्ट्रिक गाड़ियां रजिस्टर्ड: प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहन अभी राष्ट्रीय औसत से कम है. पूरे देश में जहां वाहनों की संख्या 34.00 करोड़ है, जिनमें से 27.44 लाख इलेक्ट्रिक वाहन हैं, इस तरह कुल वाहनों के अनुपात में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या 0.81 फीसदी है. मगर हिमाचल में इलेक्ट्रिक गाडियों का अनुपात इससे भी कम है. प्रदेश में 21.89 लाख वाहन है जिनमें से करीब 2400 इलेक्ट्रिक वाहन हैं, जो कि कुल वाहनों का 0.11 फीसदी है. सरकार के इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी देने से प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल बढ़ेगा.

कार्बन उत्सर्जन कम करने में मिलेगी मदद: पर्यावरण एवं विज्ञान प्रोद्यौगिकी विभाग के सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर डॉ. एमएस रंधावा का कहना है कि सरकार का इलेक्ट्रिक गाड़ियों को प्रोत्साहित करने का फैसला सहरानीय है. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल से काबर्न उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी. जिससे अंततः ग्लोबल वार्मिंग कंट्रोल करने में मदद मिलेगी. ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेवार ग्रीन हाउस गैसों में सबसे बड़ा योगदान कार्बन डाइऑक्साइड गैस का है. जीवाश्म वाली गाड़ियों पर निर्भरता से इसका उत्सर्जन कम होगा, जिससे अततः पर्यावरण के सरक्षण में मदद मिलेगी.

इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित कर रही सरकार: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कनहा है कि प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक मॉडल स्टेट के तौर पर उभरने के लिए तैयार है. सरकार सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के समन्वय व सहयोग से कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है. इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मूलभूत ढांचा सुदृढ़ करने के दृष्टिगत पहले चरण में 6 ग्रीन कोरिडोर विकसित किए जा रहे हैं. सरकार की इस पहल से वाहनों के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में भी कमी आएगी. मुख्यमंत्री का कहना है कि इसके अलावा कई अन्य कदम भी सरकार उठा रही है. सरकार का टारगेट हिमाचल को 31 मार्च, 2026 तक ग्रीन स्टेट बनाने का है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button